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अनाथ बेटियों को पढ़ाने के बाद उनके हाथ पीले करा रहे दाती जी महाराज

अनाथ बेटियों को पढ़ाने के बाद उनके हाथ पीले करा रहे दाती जी महाराज


राष्ट्रीय संत सेवा एवं गोरक्षा कल्याण परिषद के अध्यक्ष महामंडलेश्वर दाती जी महाराज ने सोमवार को अपनी दो धर्मपुत्रियों के हाथ पीले कराए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम को गति देते हुए दाती महाराज निर्धन, बेसहारा और अनाथ बेटियों की पढ़ाई से लेकर उनके रहन-सहन, खानपान और शादियों का बंदोबस्त स्वयं करते हैं। श्री शनिधाम ट्रस्ट की देखरेख में यह कार्य किया जाता है। 

हामंडलेश्वर परमहंस दाती जी महाराज अब तक करीब 10 हजार बेटियों की पढ़ाई से लेकर उनके विवाह तक का पूरा इंतजाम स्वयं कर चुके हैं। राजस्थान के पाली जिले के सोजत का निकटवर्ती गांव आलावास अब बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाो अभियान का बड़ा संदेशवाहक बन चुका है। इस गांव में शनिधाम ट्रस्ट के गुरुकुल में रहने वाली 800 बेटियों के लिए दाती महाराज पिता की तरह उनका भविष्य संवार रहे हैं। यहां अधिकतर बेटियां आदिवासी क्षेत्र की हैं, जिन्हें अब बेहतर शिक्षा मिल रही है। वर्ष 1999 में आलावास में मात्र तीन अनाथ बेटियों को गोद लेकर गुरुकुल का संचालन दो कमरों में शुरू किया गया था। गुरुकुल में रहने वाले बच्चों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया हैं। उन्हें किसी तरह की कोई कमी नहीं हो, इसके लिए दाती महाराज हर महीने खुद यहां आकर उनकी संभाल करते हैं।

श्री शनिधाम ट्रस्ट फतेहपुर असोला के मीडिया सलाहकार अशोक कुमार ने बताया कि दाती जी ने बेटियों को अपना करियर खुद चुनने की आजादी दे रखी है। उनकी अनुपस्थिति में बेटियों के लिए किसी भी तरह की कोई कमी न हो, इसके लिए 15 बेटियों पर एक मां को नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि 11 साल पहले हुए एक हादसे में अपनी जान गंवाने वाले माता पिता के  परिवार में छह भाई बहन हैं।


 इन सभी को गुरुकुल आलावास में रहकर शिक्षा दीक्षा दिलाई गई, जिसमें से दो बेटिय़ों के हाथ पीले किए गए हैं। कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण दवे, समाजसेवी केवल चंद मांडोत, समाजसेवी अमरंजय कुमार, चेनराज सोजत, मोहन लाल टांक, जब्बर सिंह राजपुरोहित, मदन सिंह इंदा, मुरली गहलोत इस विवाह के साक्षी बने। संतो ने भी वर-वधू को आशीर्वाद दिया, जिनमें निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी हरिओम गिरि महाराज, श्रीमहंत दयालपुरी महाराज, श्रीमहंत भोलागिरि महाराज, श्रीमहंत कन्हैया गिरि महाराज, श्रीमहंत श्रद्धा पुरी महाराज, श्रीमहंत दयापुरी महाराज शामिल रहे।