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राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नही: दाती महाराज

राष्ट्र धर्म से बड़ा कोई धर्म नही: दाती महाराज

हिंदू समाज को खांचों में न बांटा जा सके इसलिए जातियों से ऊपर उठकर धर्म के विषय मे सोचना होगा- 


नई दिल्ली विश्व हिन्दू परिषद ( विहिप) की दिल्ली में प्रांतीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक संपन्न हुई । 

मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में विभिन्न सम्प्रदायों के करीब 60 प्रमुख सन्तों ने देश की वर्तमान परिस्थितियों और प्रमुख विषयों पर गहन मंथन किया।

सभी पूजनीय संतो और राष्ट्रीय संत सेवा एंड गौ रक्षा कल्याण परिषद के पदाधिकारियों ने श्री आलोक कुमार को विहिप का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होने पर अपना आशीर्वाद और शुभकामनाएं दी। 

इस बैठक में संतों ने आह्वान किया कि सनातन धर्म पर हमले करने वालों के विरुद्ध जनजागरण के प्रयासों में तेजी लाई जाए ताकि 2024 के आम चुनाव में सनातन विरोधियों को जवाब दिया जा सके।

विहिप के मार्गदर्शक मंडल ने आम चुनाव से पहले सभी संतो, महामंडलेश्वर, आचार्यों से निवेदन किया कि वे राष्ट्र, सनातन धर्म से जुड़े सभी मुद्दों को लेकर देश की जनता के बीच में जाएं, ताकि हिंदू समाज को और अधिक जागरूक किया जा सके।

बैठक में नागरिक संशोधन कानून (सीएए) , सनातन पर हमले, धर्मांतरण और घर वापसी जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। 


विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने बैठक में अपने विचार रखते हुए आह्वान किया कि सभी संत आगे बढ़कर घर वापसी की मुहिम को और तेजी से चलाएं। 

उन्होंने कहा कि हम सभी को यह ध्यान रखना होगा कि हिंदू समाज को खांचों में बांटा न जा सके। सबको जाति वर्ग से ऊपर उठकर हिंदू धर्म के आधार पर एक बड़े परिदृश्य में सोचना होगा।

विहिप के दिल्ली प्रांत अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना ने बैठक में विहिप की ओर से सनातन धर्म और सेवा के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों के विषय मे जानकारी दी। 

उन्होंने कहा कि विहिप सामाजिक समरसता , सेवा, गौरक्षा, धर्म प्रसार , जनजागरण इत्यादि विषयों पर लगातार कार्य कर रहा है । ये समय हिंदू विचारों और संस्कृति की दृष्टि से स्वर्णिम काल है। 

बैठक को संबोधित करते हुए विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य श्री दिनेश चंद्र ने कहा कि विश्व की चिंताओं के समाधान का रास्ता भारत का विचार ही है, और यह कोई धर्म या संप्रदाय की बात नही है यह जीवन व्यवहार की बात है। भारत के सामाजिक और गृहस्थ जीवन में महिलाओं का विशेष स्थान है। जो सम्मान हिंदू विचार में महिलाओं को है वह और किसी विचार में नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमे दूसरे के दोषों को वर्णन नहीं करना है बल्कि अपने समाज के भीतर की कुरीतियों के बारे में विचार करना है 

उन्होंने कहा कि 1964 में विश्व हिंदू परिषद की स्थापना के पीछे यह प्रमुख भाव था कि धर्म की स्थापना में मंदिरों का विशेष स्थान है।


महामंडलेश्वर निजस्वरूपानन्द दाती महाराज ने इस अवसर पर कहा की भारत की अखंडता के सभी संतो को आगे आना चाहिए भारतीय सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाना और उसका सरक्षण करना यह हमारी जिम्मेदारी है विश्व हिंदू परिषद सहरानीय कार्य कर रहा है सभी संत हमेशा आपके साथ है राष्ट्र की उन्नति के लिए राष्ट्र धर्म से न कोई बड़ा था न बड़ा होने की संभावना है राष्ट्र हित से बड़ा कोई हित नहीं होता है उन्होंने कहा की  राष्ट्रीय संत सेवा एंड गौ रक्षा कल्याण परिषद के माध्यम से सामाजिक समरसता के विषय पर अभी 40 संगोष्ठी, सम्मलेन आयोजित कर चूका है और निरंतर जारी है और कहा की सामाजिक समरसता का मूलमंत्र समानता है, जो समाज में व्याप्त सभी प्रकार के भेदभावों एवं असमानताओं को जड़-मूल से नष्ट कर नागरिकों में परस्पर प्रेम एवं सौहार्द में वृद्धि तथा सभी वर्गों में एकता का संचार करती है। समरसता का आशय भी है कि संसार में विद्यमान चेतन-अचेतन जगत के समस्त घटकों को अपने समान समझना, आदर-सत्कार एवं प्रेम करना, क्योंकि ये सब स्व का ही विस्तार हैं। इसलिए हमें मनसा-वाचा-कर्मणा से यह तथ्य स्वीकार करना पड़ेगा कि प्रकृति के सभी घटक चेतनशील हैं एवं उन सभी के विकास से ही मानव समाज का सर्वतोमुखी विकास संभव है

बैठक की अध्यक्षता कर रहे महामंडलेश्वर श्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जिस तरह से तमाम राजनीतिक दल सनातन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर रहे हैं ऐसे में सनातन धर्म के अस्तित्व को बचाने के लिए आम चुनाव से पहले हमें गांव-गांव, कस्बे कस्बे , शहर शहर जाकर हिंदू समाज को जागरूक करना होगा।